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पृथ्वी पर सभी मकड़िया नहीं बन पाती जाला, इसके शरीर पर तेल की चढ़ी होती है विशेष परत

मकड़िया

 मकड़िया अपने रहने और शिकार को फसाने के लिए कई आकार प्रकार के दाल बनती है लेकिन यह अपने बनाए जाल में स्वयं नहीं फस्ती जानिए इससे जुड़ी एक रोचक जानकारी

मकड़ी आर्थोपोडा संघ की एक प्राणी है मकड़ी को धरती के प्राचीनतम जीवन में से एक माना जाता है यह एक प्रकार का कट है इसकी शारीरिक शिरोमक्क्ष और पेट में बड़ा होता है इसके शिरोवक्ष इससे इसके चारों जोड़ों में पर लगे होते हैं इसकी लगभग 40 प्रजातियां बताई जाती है रूस के एक वैज्ञानिक प्रोफेसर अलेक्जेंडर पीटर नेक ऑफ ने मकड़ी पर गहन अध्ययन किया उनके अनुसार मकड़ियों की प्रमुख 92 प्रजातियां होती हैं पीटर ने कॉफ ने अपनी प्रयोगशाला में बहुत सी मकड़िया रखी हुई थी वह उनकी हर प्रकार की हरकतों पर ध्यान रखते थे मकड़ी के पेट में एक थैली होती है इससे एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है मकड़ी के पिछले भाग में स्पिनर रेट नाम का अंग होता है स्पिनर रेट की सहायता से मकड़ी इस चिपचिपी द्रव को अपने पेट से बाहर निकलती है बाहर निकाल कर यह द्रव्य सूखकर तुरंत जैसा बन जाता है वैसा ही बना रहता है इसे ही मकड़ी अपना जल बनती है मकड़ी के जेल में दो प्रकार के टंट होते हैं जिसे तुरंत से मकड़ी जाले का फ्रेम बनती है वह सुख होता है जेल के बीच के धागे स्पोक नाम के चिपचिपी धुंध से बने होते हैं जेल के चिपक चिपक चिपक तंतुओं से ही चिपक कर शिकार फस जाता है एक बार चिपकने के बाद शिकार छूट नहीं पता शिकार के फंसने के बाद मकड़ी सुख तुम दो वाले धागों पर चलती हुई शिकार तक पहुंचती है इसी कारण मकड़ी अपने जाल में नहीं उलझती वैसे भी मकड़ी के शरीर पर तेल का एक विशेष परत चढ़ी होती है जो उसे जेल के लेजदार भाग के साथ चिपकने से बचाती है 

मकड़िया

मकड़िया

पृथ्वी पर इनकी संख्या की बात करें तो मकड़िया सातवें नंबर पर आती हैं कुछ मकड़ियों की उम्र 1 साल कुछ की उम्र 20 साल होती है इनकी गिनती कीड़ों में नहीं होती बल्कि यह बिच्छू की तरह अष्टापद परिवार से संबंध रखता है

आपके घर में जितनी मकड़िया है उनमें से 95% में तो बाहरी दुनिया देखी ही नहीं एक एकड़ जमीन पर लगभग 10 लाख मकड़िया होती है

मकड़ियों के पैरों पर छोटे-छोटे बाल होते हैं उनकी मदद से यह खुशबू महसूस कर पाती है और यह बोल इन्हें दीवार पर चढ़ते समय पकड़ बनाने में मदद करते हैं

सभी प्रजातियों में केवल आदि ही जाल बन पाती हैं कुछ मकड़िया तो हर रोज रात को नया जल बनती है जबकि कुछ पुराने को ही स्पेयर कर लेती है फिर इसमें बैठकर शिकार का इंतजार करती है मकड़ी की लगभग सभी प्रजातियां मनुष्य के लिए थोड़ी बहुत हानिकारक होती है किसी मकड़ी के काटने से आखरी मौत वर्ष 1981 में ऑस्ट्रेलिया में हुई थी

मैकिया पानी पर चल सकती है इसके अंदर सांस ले सकती हैं यह अपने अटो पैरों को फैलाकर अपने वजन को बराबर बांट सकती है इससे पानी का पुश्ति तनाव नहीं टूट पता और इन्हें अपनी पर चलने में आसानी से मदद मिलती है 

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