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बड़ा बदलाव गुलामी की निशानी होगी खत्म 1 जुलाई से लागू होंगे नए दंड कानून केंद्र ने जारी की अधिसूचना 164 साल पुरानी सहिंता से मुक्ति

नए दंड कानून

देश में अंग्रेजों की गुलामी के दौर से शुरू होकर आजादी के क्षेत्र साल बाद भी लागू दंड कानून और और 1 जुलाई से इतिहास की बात हो जाएगी केंद्र सरकार ने शनिवार को अधिसूचना जारी की है कि पुराने दंड कानून के स्थान पर नए भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू होंगे नए कानून के लिए विधायकों को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था और राष्ट्रपति ने भी इन्हें मंजूरी दे दिए थे गुलामी के प्रत्येक चिन्ह को खत्म करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद 164 साल पुराने दंड कानून को बदलना ऐतिहासिक कार्य माना जा रहा है केंद्र सरकार में कहा कि नए कानून के बारे में पुलिस कर्मियों व वकीलों को प्रशिक्षण के लिए मॉड्यूल और कार्यक्रम तैयार किया जा रहे हैं ताकि इन्हें लागू करने में व्यावहारिक कठिनाई नहीं हो विशेषज्ञों के अनुसार नए दंड कानून आतंकवाद मोब ब्लीचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और अधिक सख्त बना देगा साथ ही नए प्रावधानों से आम तौर पर अदालतों से जल्दी न्याय मिलने का रास्ता सुगम होगा

पहले और अब मैं क्या अंतर है

पहले भारतीय दंड संहिता 1860 आईपीसी

अब भारतीय न्याय संहिता 2023 बीएस भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023

किस में क्या बदला है 

न्याय संहिता आईपीसी में 511 धाराएं थी जबकि बीएस में 358 धाराएं होगी इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है और 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है 6 अपराधों में दंड के रूप में सामुदायिक सेवा की व्यवस्था की गई है 19 धाराएं खत्म की गई है

नागरिक सुरक्षा संहिता पुरानी सीआरपीसी में 484 धाराएं थी अब नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं बढ़ाई गई हैं 171 धाराओं को बदल गया है 9 नई धाराएं जोड़ी गई है और 14 को खत्म किया गया है

साक्षी अधिनियम पुराने एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थी नए साक्षी अधिनियम में 170 धाराएं होगी 24 धाराओं में बदलाव किए गए हैं दो नई धाराएं जुड़ी है और 6 धाराएं खत्म की गई है

क्या-क्या है नया

पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है

बीएस में पहली बार धारा 113 एक के तहत आतंकवाद को दंडनीय अपराध बनाकर इसे परिभाषित किया गया है ऐसा कृत्य जो भारत की एकता अखंडता सुरक्षा को खतरे में डालने लोग लोगों या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगड़ने के इरादे से देश या विदेश में कोई करता है तो वह आतंकवाद है इस परिभाषा में संपत्ति को नुकसान नकली मुद्रा व तस्करी भी शामिल है ऐसे अपराध मृत्यु दंड या पैरोल के बिना आजीवन कारावास से दंडनीय आतंकी की संपत्ति की कर्क भी हो सकती है

बड़ा बदलाव गुलामी की निशानी होगी खत्म 1 जुलाई से लागू होंगे नए दंड कानून केंद्र ने जारी की अधिसूचना 164 साल पुरानी सहिंता से मुक्ति

राजद्रोह के बजाय देशद्रो

बीएस में राजद्रोह को समाप्त कर देशद्रोह को दंडनीय अपराध बनाया है इसकी परिभाषा में देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृतियों को शामिल किया गया है

महिलाओं के लिए प्रावधान

बीएस में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का अलग अध्याय है

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